ताजमहल नहीं यह रहस्य्मयी महल है प्यार की पहली निशानी! जिसके गर्त में छुपा है राज एक खजाने का!

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                800 साल पुरानी,  

                                          वह प्यार की निशानी, 

                 जिसके तहखानो में दफन है 

                                           एक खजाने की कहानी.

जी हां सुनकर चौंकिए मत आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूं एक खजाने की कहानी जिस को छुपाने के लिए आज आज भी डरावनी कहानियां बनाई गई है ताकि कोई उस बेशकीमती खजाने तक गलती से भी ना पहुंच जाए. इस कहानी की शुरुआत लगभग 800 साल पहले हुई थी, जब तुगलक वंश के शहजादे को एक हिंदू लड़की से बेपनाह मोहब्बत हो गई. शहजादा हिसार(Haryana) में शिकार के लिए गए हुए थे कि अचानक वहां पर उन्हें बहुत जोरों की प्यास लगी परंतु कोई भी जलाशय ना होने की वजह से पानी मिल ना सका.जब प्यास से उनका बुरा हाल था तो उनकी अचानक से मुलाकात हुई एक दूध बेचने वाली दूध जैसी सुंदर एक लड़की से.जो गुजरी कहलाती थी. फिरोज शाह को देखते ही उससे पहली ही नजर में प्रेम हो गया . 

पानी पीने का वह सिलसिला कुछ यूं चला कि शहजादा हर महीने शिकार के बहाने हिसार पहुंच जाते और गुजरी को एकटक निहारते रहते .प्यार में कुछ ऐसे अंधे हुए की गुजरी के सिवा शहजादे को अब कुछ नजर ही नहीं आता था फिर वह दिन भी आ गया जब बहुत डरते हुए शहजादे ने गुजरी से अपने प्यार का इजहार कर दिया शहजादा डरता था कि कहीं गुजरी उसके प्रेम को ठुकरा ना दें परंतु गुजरी भी कहीं ना कहीं शहजादे को बहुत पहले ही दिल दे चुकी थी परंतु गुजरी के सामने एक अत्यंत गंभीर समस्या खड़ी थी.वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी और उसके सिवा उसके मां-बाप का कोई था  भी नहीं. गुजरी ने फिरोजशाह को कहा कि वह प्यार तो बहुत करती है परंतु उसकी मजबूरी है कि वह अपने मां बाप को छोड़कर दिल्ली तुगलकाबाद जा नहीं पाएगी 

शहजादे ने जब उसकी यह बात सुनी तो प्यार के साथ-साथ गुजरी के लिए इज्जत भी बढ़ गई. अब शहजादा इसका समाधान निकालने में लग गया और शहजादे ने बहुत सोचकर गुजरी को कुछ  यू जवाब दिया, मैं तुम्हारे प्यार के बिना नहीं रह सकता और यह भी सच है कि तुम्हारे बूढ़े मां बाप तुम्हारे बिना नहीं रह पाएंगे.हे प्रिय तुम किसी भी तरह की चिंता ना करो मैं तुम्हारे लिए यही पर एक महल बनाऊंगा और उसमें हम हमेशा एक खुशहाल जीवन जिएंगे.


पहले प्यार की निशानी ताजमहल नहीं है पहले प्यार की निशानी हिसार का गुजरी महल है जो आज भी शहर के बीचो-बीच खड़ा है. फिरोजशाह तुगलक ने हिसार में गुजरी महल बनाया और वहां से आसपास का पूरा एडमिनिस्ट्रेशन चलाने के लिए दीवाने खास और दीवाने आम का भी निर्माण किया आपको गुजरी महल में रहने के साथ-साथ प्रशासनिक ढांचा भी दिखाई देगा.

कहते हैं कि तुगलक सल्तनत का बहुत सारा धन जोकि टैक्स के जरिए और अन्य सामान के बिकवाली के जरिए प्रशासन को मिलता था उसका बहुत बड़ा हिस्सा गुजरी महल को चलाने के लिए बनाए गए गुप्त तहखाने में आज भी मौजूद है हिसार का गुजरी महल पूरी दुनिया का इकलौता महल है जिसमें ढेर सारी सुरंगे हैं जो कि एक रिकॉर्ड भी है. खजाने को छुपाने के लिए ढेर सारी कहानियां बनाई जाती है 

शहर के गुजरी महल के बारे में अनेक भूतिया कहानियां घड़ी गई है एक कहानी यह भी है कि गुजरी महल के तहखाने में पूरी बरात गायब हो गई. इन कहानियों की हमने पड़ताल की हर किसी के मुंह पर बारात गायब होने का जिक्र तो था परंतु वह बरात किस गांव से और किस इंसान के परिवार से संबंध थे इसका जवाब हमें नहीं मिला. 


पुराने दस्तावेजों पर जब ध्यान दिया तो हमने पाया की गुजरी महल एक वक्त में पश्चिम भारत की बहुत सारी रियासतों को कंट्रोल करता था और इन रियासतों से बहुत सारा धन वसूली और टैक्स के रूप में सोने की शक्ल में तुगलक सल्तनत को मिलता था जिसे गुजरी महल में रखा जाता था. आज भी भारत के बहुत से किलो में खजाने की तलाश चलती रहती है जयपुर के किले में श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में हजारों टन सोना ढूंढे जाने की कहानियां आज भी जिंदा है.



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